Wednesday, 6 January 2016

घर का चूल्हा

"दो स्पेशल चाय इलायची वाली " विकास ने होटल वाले लड़के को कहा। हमेशा की तरह विकास चौक के चौरसिया होटल में चाय पीने पहुंचा था | चाय पीते हुए विकास अपने मित्र के साथ यहाँ वहाँ की बाते कर रहा था  अचानक उसकी नजर कोने में अकेले बैठे नवयुवक पर पड़ी । पतला दुबला ,बिखरे बाल, पैरों में चप्पल पहना युवक थोड़ा परेशान लग रहा था।

"अरे वही लड़का और फिर से ये अखबार में पता नहीं क्या ढूंढ रहा है " विकास ने मन में सोचा
विकास पिछले कई दिनों से इस लड़के को रोज़ाना इसी वक़्त होटल में पाता।

उस दिन विकास अकेले होटल में पहुंचा अपनी टेबल में बैठने से पहले ही उसने फिर उसी लड़के को देखा विकास एक पल के लिए रुका और कुछ निश्चय करके उस लड़के की टेबल की ओर बढ़ा और टेबल में सामने की ओर बैठ गया । लड़का अनजान आदमी को अपने सामने पा कर थोडा घबरा गया। विकास ने मुस्कुराते हुए अपना हाथ उसकी तरफ बढ़ाया और अपना परिचय दिया। उस लड़के ने भी धीरे से हाथ मिलाया।

"छोटू दो स्पेशल चाय और दो प्लेट समोसे ले आ" विकास ने आर्डर दिया। इस तरह दोनों के बीच बातचीत होने लगी उस लड़के का नाम अजंता था। अजंता एक पढ़ा लिखा युवक था परंतु आर्थिक तंगी की वजह से कॉलेज पूरा नहीं कर पाया वह नौकरी के लिए भटक रहा था। उसने विकास को बताया की रोज़ अख़बार में नौकरी के विज्ञापन देखता है परंतु कहीं सफलता नहीं मिलती।

"घर में माँ पिता के साथ दो छोटी बहनें हैं पिता की कमाई से जैसे तैसे घर चलता है। बहनो की शादी के लिए मुझे काम करना जरूरी है। "यह कहते हुए उसकी आँखे नम हो गई  । विकास ने उसे धीरज बंधाया।

"मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ अगर तुम चाहो तो" विकास ने अपनी चाय ख़त्म करते हुए कहा।

"वो कैसे ?क्या आप मुझे नौकरी दिला सकते हो?" अजंता ने उम्मीद और आश्चर्य से पूछा।

विकास मुस्कुराया और हँसते हुए अपना कार्ड उस युवक को दिया और कल 11 बजे ऑफिस में मिलने को कहा ।

अगले दिन विकास ने उस युवक की मुलाक़ात ऑफिस में सभी से करवाई । विकास को काम समझाया ऑफिस की औपचारिकता भी विकास ने स्वयं की और अजंता को ईमानदारी लगन और नम्रता से काम करने को कहा।
अजंता को अपने काम में बहुत सफलता मिली कुछ ही साल में उसने अपनी बहनों की शादी धूम धाम से की । स्वयं का घर बनाया जिसमे वह अपने माता पिता बीवी और दो बच्चों के साथ रहता है। समाज में अजंता की पूछ परख बढ़ गई और उसे सम्मान मिला।

कुछ साल बाद

"मैडम ये काम तुरंत कर दो " कुछ पेपर्स टेबल में पटकते हुए अजंता ने रौब से कहा।

चूँकि मैडम नई थी इसलिए उन्होंने विरोध किआ और कहा पहले जिन्होंने पेपर्स दिए हैं उनका काम होगा।

अजंता भड़क गया । मैडम आप हमें नहीं जानती

"हम कमा के लातें हैं तो आपके घर में चूल्हा जलता है,अभी देखना आप कैसे करती हो मेरा काम" यह कहते हुए उसने अपने पेपर वापस लिए और शाखा प्रबंधक के कक्ष में जाके मैडम की शिकायत कर दी।

शाखा प्रबंधक तुरंत मैडम के पास पहुँचे और फटकार लगाते हुए अजंता का काम सबसे पहले करने के निर्देश दिए।

मैडम कुछ नहीं समझ पायी बस आज्ञा का पालन किआ पर पत्र टाइप करते हुए उनके कानों में गूंज रहा था "हम कमा कर लातें हैं तो आपके घर चूल्हा जलता है"

नोट: इस काल्पनिक कहानी का बीमा उद्योग से दूर दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं है

पंकज सिंह

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