Monday 15 September 2014

संचार क्रांति के साथ आगे बढ़ती हमारी हिंदी

वर्तमान युग नि:संदेह संचार क्रांति का है | सभी क्षेत्र की प्रगति में संचार क्रांति इस तरह मिल चुकी है की अब यह उसका अभिन्न अंग बन चुकी है चाहे वह तकनीकी क्षेत्र हो, चाहे चिकित्सा , चाहे रक्षा या व्यापार अब संचार की तकनीको का प्रयोग किये बिना इन क्षेत्रो में आगे बढ़ना असंभव ही लगता है | भाषा के विकास के  क्षेत्र में भी संचार क्रांति ने अपनी भूमिका निभाई है , संचार के आधुनिकतम साधन जैसे मोबाइल या इंटरनेट (अंतरजाल) भले ही अंग्रेजी भाषा से चालू हुए हो परन्तु समय व स्थान के अनुसार इसने बाकी भाषाओ को भी जगह दी है व उन्हें समृद्ध किया है  |
हिंदी हमारी मातृभाषा है तभी तो हमें इस भाषा से एक लगाव महसूस होता है। इस लगाव ने इंटरनेट (अंतरजाल) क्रांति के युग में भी अपनी जगह बना रखी है। कहानी हो या कविता भावप्रधान तभी लगती है जब हिंदी में लिखी और पढ़ी जाये। हिंदी से अलग होना नामुमकिन है लेकिन जब कम्प्यूटर पर काम करने का समय आया तो एक बार के लिए इस भाषा पर प्रश्न चिन्ह लग गया भारत में अब जब हर छोटी-बड़ी जगह पर काम कम्प्यूटर पर होने लगे हैं तो कम्प्यूटर बनाने वाली कम्पनियाँ भी इस बात को बखूबी जानती है कि भारत में अगर अपना वर्चस्व बढ़ाना है तो हिंदी भाषा भी ऑपरेटिंग सिस्टम में होनी चाहिये। गूगल ने हिंदी के यूनिकोड फॉन्ट उपलब्ध कराये हैं। इसके साथ ही, गूगल ने ट्रांसलिट्रेशन टूल भी लॉन्च किया जिसमें इंग्लिश में टाइप किया गया हिंदी में बदल जाता है। पहले नेट किसी हिंदी अखबार या पत्रिका को पढ़ने के लिए सही लिपि के फॉन्ट का कम्प्यूटर में डाउनलोड होना आवश्यक होता था लेकिन अब रोमन लिपि में तकनीकी विकास के कारण कभी भी, कहीं भी बिना किसी विशेष फॉन्ट डाउनलोड के हिंदी को पढ़ा जा सकता है।
मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टमों में हिन्दी का प्रवेश वर्ष 2005 के बाद शुरु हुआ। नोकिया के मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम सिम्बियन के कुछ संस्करणों में आंशिक हिन्दी समर्थन आया। माइक्रोसॉफ्ट के विण्डोज़ मोबाइल के कुछ संस्करणों में आयरॉन्स हिन्दी सपोर्ट नामक थर्ड पार्टी सॉफ्टवेयर के जरिये हिन्दी समर्थन आया। बाद में ऍपल के मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम आइओऍस, गूगल के मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम ऍण्ड्रॉइड तथा रिम के ब्लैकबेरी ओऍस में भी हिन्दी समर्थन उपलब्ध हुआ। वर्तमान में माइक्रोसॉफ्ट के विण्डोज़ फोन को छोड़कर लगभग सभी प्रमुख मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टमों में हिन्दी समर्थन है। मोबाइल में हिंदी सॉफ्टवेयर की उपलब्धता ने लोगों का काम और अधिक आसान कर दिया है।
बहरहाल इंटरनेट (अंतरजाल) पर हिंदी के शुरुआती विकास के क्षेत्र में सीएसडीएस (सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटीज) ने भी उल्लेखनीय काम किया है। शुरुआत में अंतरजाल पर हिंदी देखने के लिए जहां किसी भी फॉन्ट की इमेज (पीडीएफ) ही इस्तेमाल की जा सकती थी। जिस समय अंतरजाल पर हिंदी के लिए काम कर रहे सरकारी संस्थान टीआईडीएल (टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फॉर इंडियन लैंग्वेज)  और सी-डैक जैसे सरकारी विभाग तमाम अव्यावहारिक कोशिशें कर रहे थे, उस दौरान सीएसडीएस ने हिंदी के इस्तेमाल से संबंधित तमाम सॉफ्टवेयर बनाकर उनका मुफ्त वितरण शुरू कर दिया था।
वर्तमान में इंटरनेट (अंतरजाल) व मोबाइल के लगभग सभी काम हिंदी में किये जा सकते है | इससे भाषा के प्रचार प्रसार में बहुत मदद मिली है | अंतरजाल में तो हिंदी के आने से एक नई क्रांति का प्रारंभ हुआ है | वर्तमान में लगभग सभी समाचार हिंदी भाषा में अंतरजाल में उपलब्ध है जिसका उपयोग न केवल देश में रह रहे करोड़ो लोग उठा रहे है बल्कि विदेशो में बसे भारतीय भी हिंदी समाचार व साहित्य पढ़ कर आनंदित हो रहे हैं| हिंदी अन्य भारतीय भाषाओ की तुलना में अंतरजाल में ज्यादा तेजी से आगे बढ़ी है इसका मुख्य कारण युवा पीढ़ी का इसे हाथो हाथ लेना है | नई पीढ़ी अंतरजाल में हिंदी के उपयोग को लेकर आक्रामक रुख अपनाए हुए है और ब्लॉग , सोशल मीडिया में इसे धडल्ले से उपयोग कर रही है | अंतरजाल में हिंदी के बढ़ते वर्चस्व को देखते हुए विश्व की जानी मानी माइक्रो ब्लॉगिंग साईट ट्विटर ने भी अपनी सेवा हिंदी में शुरू कर दी है यह हिंदी बोलने व पढने वालो के लिए गर्व की बात है | अंतरजाल ने हिंदी भाषा में लिखने वालो के हाथों को सशक्त किया है , सृजनशील व्यक्तियों को इंटरनेट (अंतरजाल) ने अपना मालिक खुद बना दिया है | पहले किसी लेखक को अपने विचार पाठको तक पहुचाने के लिए पुस्तक प्रकाशकों के कितने चक्कर लगाने पड़ते थे कइयो की रचनाये तो कभी पाठको के बीच पहुँच ही नहीं पाती थी परन्तु अंतरजाल ने उनके रास्ते की सभी बाधाओं को दूर कर उनकी राह आसान कर दी है | इससे अंतरजाल पर नए व युवा लेखको की बाढ़ सी आ गई है | जहाँ पहले अंतरजाल पर हिंदी के केवल इक्का दुक्का विषय ही मिलते थे पर अब उन विषयों का दायरा इतना बढ़ गया है की कोई सीमा नहीं रही |
एक हालिया सर्वेक्षण के मुताबिक हिंदी बहुत जल्द इंटरनेट (अंतरजाल) पर अंग्रेजी और चीनी भाषा के बाद सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली भाषा बन जाएगी। जबकि वर्तमान में हिंदी अंतरजाल पर उपयोग की जाने वाली शीर्ष 10 भाषाओ में भी नहीं है इसके बाद भी विशेषज्ञों का ऐसा सोचना हिंदी की क्षमता को ही दर्शाता है |
इंटरनेट (अंतरजाल) पर हिंदी की लोकप्रियता बढ़ाने में ब्लॉगिंग का अहम योगदान रहा है। ब्लॉग एक ऐसा माध्यम है जो लिखने और पढने वाले को सुकून देता है। अंतरजाल पर उपलब्ध हिंदी कंटेट(सामग्री) में सबसे बड़ा योगदान हिंदी में ब्लॉग लिखने वाले ब्लॉगरों का ही है | हिंदी का सर्वप्रथम ब्लॉग लिखने का गौरव श्री आलोक कुमार जी को जाता है जिन्होंने 21 अप्रैल 2003 को पहला ब्लॉग लिखा था, इस तरह अंतरजाल में हिंदी ब्लॉगिंग के अत्यंत सफल 10 वर्ष बीत चुके है | वर्तमान में ऐसे हिंदी ब्लागों की संख्या कई लाख तक पहुँच चुकी है | अब हिंदी भाषा के ब्लॉग मात्र अभिव्यक्ति का एक माध्यम न होकर सामाजिक मंच बन गया है  | मौजूदा दौर में हिंदी में सामुदायिक ब्लॉगों के अलावा साहित्य, संस्कृति और सिनेमा जैसे विषयों पर कई ब्लॉग सक्रिय हैं। इन ब्लॉगों पर सामाजिक मुद्दों की भी खूब धूम रहती है।  आने वाले दस वर्ष के अंदर ब्लॉग हिंदी साहित्य के विकास का प्रतीक होगा। दुनिया की अन्य भाषाएं भी इस सर्वसुलभ माध्यम का इस्तेमाल अपनी भाषा व उसके साहित्य के विकास के लिए कर रही हैं।

तो फिर हिंदी क्यों पीछे रहे?