Tuesday 9 April 2013

सिरपुर सैलानी की नज़र से : मेरी समीक्षात्मक दृष्टी


ख्यातिनाम ब्लॉगर ललित शर्मा की नवीन कृति “सिरपुर सैलानी की नज़र से “ पढ़ने का मौका लगा | वैसे तो ललित जी से परिचय ज्यादा पुराना नहीं है परन्तु कम समय में ही उनकी लेखनी ने हजारों पाठकों की तरह मुझे भी प्रभावित किया | विभिन्न विषयों में उनकी अच्छी पकड़ है जो उनकी लेखनी में स्पष्ट रूप से सामने आती है विशेषकर उनके हास्य व्यंग्य व पुरातात्विक / सांस्कृतिक महत्व का वर्णन करते उनके यात्रा वृतांत | बहरहाल मुझे उनकी यह नई किताब करीब एक महीने पहले मिली थी जिसे मैंने दो दिनों में ही पढ़ लिया था परन्तु समयाभाव के कारण इसके बारे में लिख नहीं सका | इस किताब की विशेषता यह है कि यह पाठक को शुरू से अंत तक बांधे रखती है तथा उनका मनोरंजन करने के साथ साथ ज्ञान में भी वृद्दि करती है | आमतौर पर ललित जी के लिखने का यही ट्रेडमार्क स्टाइल है | इससे पाठक उबता नहीं और कहानी में बना रहता है | हमेशा की तरह इस बार भी शर्मा जी का अवलोकन सूक्ष्म व अकाट्य रहा है | मसलन पेज 28 पर बताया गया कि वर्तमान सिरपुर में २ मेडिकल स्टोर्स , 4 किराना दुकान , 3 कपडा दुकान , 2 पंचर बनाने की दुकान .......................इत्यादि हैं | किताब में दिए गए तथ्यों का जगह जगह पर रिफरेंस तथा चित्र दिया हुआ है जो इसकी प्रमाणिकता पर चार चाँद लगातें हैं तथा इसे एक संग्रहणीय किताब का दर्जा देते हैं | पेज 85 पर शर्मा जी ने सिरपुर बाजार की आभासी सैर कराई परन्तु वास्तविकता में उनकी कल्पनाशक्ति व उत्तम लेखनी के कारण यह जरा भी आभासी नहीं लगा और हमने मुफ्त में ही सैर कर ली | भविष्य में इसी तरह की उत्तम रचना देने के लिए शुभकामनाएँ|